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विविध भजन

Nar chod de kapat ke jaal batau tane tirne ki tadbir,नर छोड़ दे कपट के जाल बताऊँ तनै तिरणे की तदबीर

नर छोड़ दे कपट के जाल, बताऊँ तनै तिरणे की तदबीर ॥

नर छोड़ दे कपट के जाल, बताऊँ तनै तिरणे की तदबीर ॥नर छोड़ दे कपट के जाल, बताऊँ तनै तिरणे की तदबीर ॥





हरि की माला ऐसे रटणी, जैसे बांस पर चढज्या नटनी।मुश्किल है या काया डटनी, डटै तो परले तीर।नर छोड़ दे कपट के जाल, बताऊँ तनै तिरणे की तदबीर ॥




गऊ चरणे को जाती बन मे, बछडे को छोड़ दिया अपणे भवन मे।सुरत लगी बछड़े की तन मे, जैसे शोध शरीर॥नर छोड़ दे कपट के जाल, बताऊँ तनै तिरणे की तदबीर ॥




जल भरने को जाती नारी, सिर पर घड़ो घड़ै पर झारी।हाथ जोड़ बतलावे सारी, मारग जात वही॥नर छोड़ दे कपट के जाल, बताऊँ तनै तिरणे की तदबीर ॥




गंगादास कथै अविनाशी, गंगादास का गुरु संयासी।राम भजे से कटज्या फांसी, कालु राम कहीं॥नर छोड़ दे कपट के जाल, बताऊँ तनै तिरणे की तदबीर ॥

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