आसा छोड़ दे रे बंदे ,
हाथों हाथ मिले रे पर्चा,
मत ना हो रे निराशा ,
आशा छोड़ दे रे बंदे,
बीत गई रे भरी जवानी ,
फेर करे रे आसा बन्दे,,
सुत्यो खावे राम भरोसे,
पलटया नहीं र पासा।आसा छोड़ दे रे बंदे ,
हाथों हाथ मिले रे पर्चा।
बात करे तो आंख मिला के, भीतर भरी कुटलाई ।
आंखों देखत धोखा दे दे, पल पल में चतुराई ।आसा छोड़ दे रे बंदे ,
हाथों हाथ मिले रे पर्चा,
चलते चलते आवेरे ठिकाना टेडा चले ना गांव
टेडा तो था अष्टावक्र । कभी ना राखी आशा।आसा छोड़ दे रे बंदे ,
हाथों हाथ मिले रे पर्चा,
राम नाम की चादर ओढ़ी, माला ले ली हाथ ।
भगवत की जब कथा सुनावे
माया की राख़े आश ।आसा छोड़ दे रे बंदे ,
हाथों हाथ मिले रे पर्चा,आसा छोड़ दे रे बंदे ,
हाथों हाथ मिले रे पर्चा,
जंगल में मंगल करें ,
हाथ हथोड़ा चलाएं ।
निज चेतन की आस करले,
वही तो बस्ती बसाय,।आसा छोड़ दे रे बंदे ,
हाथों हाथ मिले रे पर्चा,
पांच भाई जद हंस के बोले, अपनी करे रे बढ़ाई ।
पांचा की खुले हकीकत, पल में हाथापाई ।आसा छोड़ दे रे बंदे ,
हाथों हाथ मिले रे पर्चा,
छोड़ो रे आशा रहे निराशा, मत ना करें बिनाशा
महाप्रभु की वाणी सुनले
है अमरापुर वासा ।आसा छोड़ दे रे बंदे ,
हाथों हाथ मिले रे पर्चा,