होली खेलण ने नंदलाल बना म्हारे महल पधारो जी । महल पधारो, म्हारे महल पधारो, महल पधारो सांवरिया,म्हारे महल पधारो जी।
केसर रंग सूं भर भर गगरी । ठाड़ी ग्वालन सिर धर सगरी । नवल नागरी उमंग भरी, म्हारे महल पधारो जी ॥ होली खेलण ने नंदलाल बना म्हारे महल पधारो जी ।
अबिर गुलाल से भरभर झोरी । बाट निहार रही सब गोरी । मैं अरज करूँ कर बरजोरी, म्हारे महल पधारो जी ॥ होली खेलण ने नंदलाल बना म्हारे महल पधारो जी ।
तिरछी चितवन से मत झांकी ।
नवल नार को जोबन बांको । थे, मारग में मत चाखो जी, म्हारे महल पधारो जी ॥ होली खेलण ने नंदलाल बना म्हारे महल पधारो जी ।
मोर मुकुट पीताम्बर धारी ।
श्याम “सुधाकर” कृष्ण मुरारी ।
थांकी बांसुरी कामणगारी जी, म्हारे महल पधारो जी।होली खेलण ने नंदलाल बना म्हारे महल पधारो जी