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विविध भजन

Duniya rijheli mitho bolya se,दुनिया रिझेली मिठो बोल्या से

दुनिया रिझेली मिठो बोल्या से।

राम रीझे तो थारी आत्मा रीझे दुनिया रिझेली मिठो बोल्या से।भरम गांठ को ज्याय घर घर डोल्या स।



आदर भाव गुणा से मोटा तुरंत फुरंत लेव लेखो जी। दुश्मन झुक ज्या उनके आगे नहीं करया कर देखो जी। विष अमृत हो ज्याय मिठो बोल्या से।भरम गांठ को ज्याय घर घर डोल्या स।राम रीझे तो थारी आत्मा रीझे दुनिया रिझेली मिठो बोल्या से।भरम गांठ को ज्याय घर घर डोल्या स।



मित्र हो तो रहो मित्र संग मित्र फला न चाखो जी। जे मितर म अवगुण हो तो परदे भीतर राखो जी ।दुनिया हँसेगी परदों खोल्या से।भरम गांठ को ज्याय घर घर डोल्या स।राम रीझे तो थारी आत्मा रीझे दुनिया रिझेली मिठो बोल्या से।भरम गांठ को ज्याय घर घर डोल्या स।



खेत कारणे बाड़ लगायी बाड़ खेत न खाव जी। पर हाथां कोई चीज मंगायी बा पूरी कद आव जी ।मन का विस्वा जाय पाछे तोल्या से।भरम गांठ को ज्याय घर घर डोल्या स।राम रीझे तो थारी आत्मा रीझे दुनिया रिझेली मिठो बोल्या से।भरम गांठ को ज्याय घर घर डोल्या स।



भरम भरम म सब कोई भरम्या भरम भेद ना पायो जी। भरी सभा के बिच बेठ के शिव पंड्यो जस गायो जी। नर तेरो कल्याण साँचो बोल्या से ।भरम गांठ खुल ज्याय,घर घर डोल्या स।राम रीझे तो थारी आत्मा रीझे दुनिया रिझेली मिठो बोल्या से।भरम गांठ को ज्याय घर घर डोल्या स।

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