तर्ज : सज धजकर बेठयो सांवरीया …….
बाज रही जी बाज रही, सोन्या घर थाली बाज रही-2 इ गांधी नगर की गलीयां में, हो ओ ।इ गांधी नगर की गलीयां में,सगलां पर थाली गूंज रही। बाज रही जी बाज रही सोन्या घर थाली बाज रही-2
जनम लियो जी जनम लियो दादोजी को पोतो जनम लियो। दादीजी हरख घणा कर, हो ओ। दादीजी हरख घणा कर, सारों ही कुटुंब आज आए रहयो।जनम लियो जी जनम लियो बाबाजी को बेटो जनम लियो।बाज रही जी बाज रही सोन्या घर थाली बाज रही-2
ईनको रंग सुरंगो है, इरा झबला भी पचरंगा है।। इस चांद के जैसे मुखड़े पे काका, बाबा बली बली जाव। जनम लियो जी जनम लियो सोन्या घर घेनड़ जनम लियो।लुगांया कोड घणा कर गीतांम गाय सुणाव है।बाज रही जी बाज रही सोन्या घर थाली बाज रही-2
नानो जी डोरो पेराव है, नानी जी रूपीयां बांट है। लिफाफा की भरमार है, सब मांग मांग कर लेत है। जनम लियो जी जनम लियो सोच्या घर घेनद जनम लियो। भूवाजी कोड घणो कर भरभर थाली पहुँचाव है।बाज रही जी बाज रही सोन्या घर थाली बाज रही-2
कोई बला की टोपी ल्याव है, कोई देख देख हर्षाव है। गाजे बाजे र साग आ नणंद घुघरी ल्यावे है। बाज रही जी बाज रही सोन्या घर थाली बाज रही-2