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Holi geet

Kar solah shringar Naina tikho kajro ghal,कर सोलह सिंगार नैना तीखो कजरो घाल,holi geet

कर सोलह सिंगार नैना तीखो कजरो घाल,

तर्ज, चांद चढ्यो गिगनार

कर सोलह सिंगार नैना तीखो कजरो घाल, गोरी मूलक रही जी मूलक रही।होली रो त्योहार बरसे रंग बिरंगी धार, पिचकार्यां छूट रही जी छूट रही

जोबन झोला खावे भवर म्हारो घुल घुल जावे रूप दिवले रे चांदनीये में चमके दाता बिचली रेख । आ तो खड़ी उड़ीके नार आजा म्हासु करले प्यार, जवानी भलक रही जी भलक रही।होली रो त्योहार बरसे रंग बिरंगी धार, पिचकार्यां छूट रही जी छूट रही।

कर सोलह सिंगार नैना तीखो कजरो घाल गोरी मूलक रही जी मूलक रही।होली रो त्योहार बरसे रंग बिरंगी धार, पिचकार्यां छूट रही जी छूट रही।

कांचली रा कसना टूट्या जोर जवानी खावे। क्यांमे राखे ई जोबन ने अंगिया में नही मावे। मरवान मत ना मनडो मार,जोबन है खांडा की धार,आंख म्हारी फड़क रही जी फड़क रही।होली रो त्योहार बरसे रंग बिरंगी धार, पिचकार्यां छूट रही जी छूट रही।

कर सोलह सिंगार नैना तीखो कजरो घाल गोरी मूलक रही जी मूलक रही।होली रो त्योहार बरसे रंग बिरंगी धार, पिचकार्यां छूट रही जी छूट रही।

सुनी सेजा़ पड़ी उड़ीकु दीवलो घनों सतावे। पुछु साजन री खबरा तो दुःख में नाड हिलावे।म्हारी बढ़ती जावे प्यास,पियाज़ी पिया मिलन की आश,जवानी तरस रही जी तरस रही।

कर सोलह सिंगार नैना तीखो कजरो घाल गोरी मूलक रही जी मूलक रही।होली रो त्योहार बरसे रंग बिरंगी धार, पिचकार्यां छूट रही जी छूट रही।

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