आओ जी आओ म्हारे हिवड़े रे पांवणा -२
तारा छाई रात थाने आया सरसी —
थे तो मिजाजी म्हारा घणां मन भावणा,
हिवड़े री प्यास बुझाया सरसी ॥
आओ जी आओ म्हारे हिवड़े रे पांवणा -२
तारा छाई रात थाने आया सरसी ।
सावण में आवण की कह गया जी पिया,
अब तक क्यूँ नहीं आया जी।
चाँदी के तारां री चुंदड़ी म्हारी
अब तक क्यूँ नहीं ल्याया जी।
कोई ना जाने म्हारे हिवड़े री बात नै
थाने ही बात बताया सरसी ॥
आओ जी आओ म्हारे हिवड़े रे पांवणा -२
तारा छाई रात थाने आया सरसी।
सुनी सुनी पिया बिन अटारीया कांटा भरी है म्हारी सेजडली।कद आओला छैल भंवर जी पूछ रही है म्हारी पायलडी। कोयलडी तो प्यारी कुहू कुहू बोले,थाने ही लेहरियो रंगायां सरसी।आओ जी आओ म्हारे हिवड़े रे पांवणा -२
तारा छाई रात थाने आया सरसी —
थां बिन सूनी-सूनी रातड़ियाँ में ,
कैंया गुजारूँ म्हारा बालम जी।
काजल टीको म्हारो पड़ गयो फीको
थां बिन म्हारा परदेसी ।
अटक गई जी मैं तो बीच मँझदार में ,
थांने ही पार लगाया सरसी ॥आओ जी आओ म्हारे हिवड़े रे पांवणा -२
तारा छाई रात थाने आया सरसी —