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Mhari Chandra gawarja bhalayi nadan gawarja,मारी चंद्र गौरजा भलाई नादान गरजा,gangor geet

मारी चंद्र गौरजा भलाई नादान गरजा

मारी चंद्र गौरजा भलाई नादान गरजा रतनारा खंभा दिख दूर स्यूं। महान आव अचंभों लोहडी र महलां राजन क्यूँ गया।

उड़ जाई ये तीतली दिवलो निमाई रे लोहड़ी शोक रो। म्हारी पायल बाज महला चढ़ती रा बाजे घुघरा । झुक जाईए बादली छैया कर देई ए नाजुक जीवन।

छः छल्ला छः मुंदड़ी जी छल्ला भरी परात। एक छल्ला कारण कोई छोड्या मांयर बाप। महारी चंद्र गवरजा भलाई नादान गवर्जा।

महलां महलों में फिरु जी कोई खूंटी टंगीयो कोट। में म्हारा मारु जी री लाडली कोई नितरा देव नोट जी । महारी चंद्र गवरजा भलाई नादान।

महेंदी भरीयो बाटको जी ढोला, लिख लिख मांडू हाथ। लिखणी पढ़नो छोड़दयो कोई, निरखो गोरी रा हाथ जी। म्हारी चंद्र गवरजा भलाई नादान

चन्दा थार चान्दण जी कोई, डागल घाली खाट।गया न राजन बावड़ कोई, रातयू जऊ बाट जी। म्हारी चंद्र गवरजा भलाई नादान गरजा,

मांय रंगायो पोमचो की कोई, नान्ही बंधण बंधाय। राजन केव गोरी ओढल्यो कोई, सासू सेख्या खाय जी। म्हारी चंद्र गवरजा भलाई नादान गवरजा।

घी बरताऊं टोकना जी कोई, पापड तलू पचास
बेटो परन्यो लाडलो जी कोई माता करें मिजाज। म्हारी चंद्र गवरजा भलाई नादान गवरजा।

चार खुणां री बावड़ी जी ढोला, ज्यां में उछल नीर। म्हे म्हांरा राजन व्हायस्यां कोई, सगी नणंद रा बीर जी।म्हारी चंद्र गवरजा भलाई नादान गवरजा।

महे कोमल पांखूड़ी जी ढोला, थे गुलाब रा फूल। म्हास्यूं निभा कर चाल ज्यो जी कोई बचन न जाया भूल की। म्हांरी चंद्र गवरजा भलाई नादान गवरजा

कच्ची सुपारी कच्च कच्ची जी दोला, काचा म्हारा बोल। म्हे परदेशी पावणा जी कोई, हंस कर घुंघट खोल जी। म्हारी चंद्र गवरजा भलाई नादान गवरजा

आलो भरीयो खोपरो जी कोई, खिड़की भरी बिदाम। गोरी चाली बाप के जी कोई राजन करे सलाम जी।म्हारी चंद्र गवरजा भलाई नादान गवरजा।

रतन जड़ायो पोल में जी कोई घड़ियों ना खोल्यों जाए। आप सारीसा सायबा जी कोई, घड़िया न छोड़या जाय जी। म्हांरी चंद्र गवरजा भलाई नादान गवरजा

म्हें दिपक री ज्योति सायबा, थे दिपक रो तेल। प्रेम री जोत जगास्यां कोई, कर हिदूय रो मोल जी। म्हांरी चंद्र गवरजा भलाई नादान गवरजा।

साड़ी भारी पोत की जो ढोला, तारां जड़ी है बेल। घड़ी दोय महलां में पेरस्या कोई, खुशी होय सी छैल जी। म्हांरी चंद्र गवरजा भलाई नादान गवरजा,

रतनांरा थंम्बा दिख दूर स्यूं-पातलीया इशर जी।
गलीयां मं आव गौरा झूमती । म्हान आव अचम्भो लाहेड़ी र महलां दिवलो क्यूं जग। उड़ जाई ए तीतली दिवलो निभाई ए लोहड़ी शोक रो

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