राधा बोली ओ मेरे कन्हैया होली खेलो न बंसी बजैया।राधा बोली ओ मेरे कन्हैया होली खेलो न बंसी बजैया।
तुम एक बार बंसी बजाना मैं बरसाना छोड़ दौड़ी आउंगी।तुम एक बार बंसी बजाना मैं बरसाना छोड़ दौड़ी आउंगी।तेरे खातिर ओ मेरे कन्हैया
तेरे खातिर ओ मेरे कन्हैया सारी दुनिया को भूल मैं जाउंगी ।।राधा बोली ओ मेरे कन्हैया होली खेलो न बंसी बजैया।
मैं तो नाचू गुलाल उडाऊंगी पिचकारी से तुमको भिगाऊँगी।संग लेकर के सखियों को अपने,
संग लेकर के सखियों को अपने तुम संग रास रचाऊँगी।।राधा बोली ओ मेरे कन्हैया होली खेलो न बंसी बजैया।
तेरा साहिल भी प्रेम करता तेरे दर्शन को आहे है भरता।आजा बन कर मेरा खिवैया होली खेलो न बंसी बजैया।।राधा बोली ओ मेरे कन्हैया होली खेलो न बंसी बजैया।
राधा बोली ओ मेरे कन्हैया होली खेलो न बंसी बजैया ।