मोहे ऐसा रंग लगादे रे के ब्रज में मैं खो जाऊं।
मोहे ऐसा रंग लगादे रे के ब्रज में मैं खो जाऊं।
इस होली में श्याम पिया के इस होली में श्याम पिया के ,इस होली में श्याम पिया के रंग में खो जाऊं।मोहे ऐसा मोहे ऐसा
मोहे ऐसा, रंग लगादे रे के ब्रज में मैं खो जाऊं ।
प्रीत का रंग लगदे ऐसा जीवन भर ना छूटे
ब्रज भूमि से रिश्ता मेरा जनम जनम ना टूटे।।
रंग दे चुनरिया श्याम नाम की
रंग दे चुनरिया श्याम नाम की
रंग दे चुनरिया श्याम नाम की इसको मैं लेहराऊँ
मोहे ऐसा रंग लगादे रे के ब्रज में मैं खो जाऊं ।।
चांदी की पिचकारी में श्याम नाम रस घोलू।
होली खेलु गलिन गलिन में राधे राधे बोलू।
रसिकन के संग रसिकन के संग होली खेलु।
मोहे ऐसा रंग लगादे रे के ब्रज में मैं खो जाऊं ।।
वो रंग मुझे लगदे जो कान्हा के मन भाये।
मैं कान्हा की हो जाऊं कान्हा मेरा हो जाए
एक जनम नहीं जनम जनम तक ब्रज रस अमृत पाऊं।मोहे ऐसा रंग लगादे रे के ब्रज में मैं खो जाऊं ।।
मोहे ऐसा रंग लगादे रे के ब्रज में मैं खो जाऊं।
मोहे ऐसा रंग लगादे रे के ब्रज में मैं खो जाऊं।
इस होली में श्याम पिया के इस होली में श्याम पिया के ,इस होली में श्याम पिया के रंग में खो जाऊं।मोहे ऐसा मोहे ऐसा
मोहे ऐसा, रंग लगादे रे के ब्रज में मैं खो जाऊं ।