मैं तुमसे पिया अरज करू मोहे खाटू धाम दिखा दे।मोहे खाटू धाम दिखा दे।मोहे खाटू धाम दिखा दे।मैं तुमसे पिया अरज करू मोहे खाटू धाम दिखा दे।
जयपुर की पिया ओढ़ चुनरिया। जाऊंगी मैं श्याम नगरिया। मेरे मन की चाही हो जाएगी पिया श्याम दरस करवा दे।मैं तुमसे पिया अरज करू मोहे खाटू धाम दिखा दे।
है कलयुग में महिमा भारी। शीश झुकावे दुनिया सारी। मेरी नैया पार हो जावेगी जो बल्ली श्याम लगा दे। मैं तुमसे पिया अरज करू मोहे खाटू धाम दिखा दे।
खाटू श्याम हरे का सहारा। दीया सहारा जिसने भी पुकारा। ना पीड़ा कोई सतावेगी वह सारे कष्ट मिटा दे।मैं तुमसे पिया अरज करू मोहे खाटू धाम दिखा दे।
पेड़ के पत्ते बिंध दिखाएं। देखकर नटवर फिर घबराए। पिया कविता भजन सुनावेगी मेहताब से तुम लिखवा दे।मैं तुमसे पिया अरज करू मोहे खाटू धाम दिखा दे।
मैं तुमसे पिया अरज करू मोहे खाटू धाम दिखा दे।मोहे खाटू धाम दिखा दे।मोहे खाटू धाम दिखा दे।मैं तुमसे पिया अरज करू मोहे खाटू धाम दिखा दे।