जुग माहि थोड़का जीवणा, फेर जन्म मत लेवणा । राम भजन में हाल प्राणिया ।
नर नारायण थारी काया बनावी सा,
नुगरा कोय मत रेवणा।नुगरा नर भाई पशु समाना, उनका संग मत करना जी।
राम भजन में हाल प्राणिया ।
आवता नर भाई अगन समाना, सारी सारी बातो लेवणा जी। राम भजन में हाल प्राणिया ।
जल पानी बने रेवणा जी। जाणिता रे आगे अजाण होय रेवणा,अठारह वर्ण री गाय दोवरावो सा।एक मटकी माय धरणा जी । मथी मथी थे माखण खाजो, पर तन उजला रखना जी।राम भजन में हाल प्राणिया।
काशी नगर माहि रेहता कबीर सा डोरा धागा बुनता जी । सारा संसार माहि धर्म चलायो, निर्गुण माला फेरवता जी।राम भजन में हाल प्राणिया।
इण संसार माहि जीवणा थोड़का, वैर किसी से मत रखना जी। कहत कमाली कबीर सा री लड़की, आयो अवसर मत चूकना जी। राम भजन में हाल प्राणिया ।