ऐसी पिला दे साक़ी बन जाये तू हमारा। ख्वाहिश नहीं है मुझको मैं भी बनूँ तुम्हारा ॥
नज़रों से मय का प्याला ऐसा पिला खुदारा । नज़रों में बस रहे इस तेरा ही बस नज़ारा ॥ऐसी पिला दे साक़ी बन जाये तू हमारा। ख्वाहिश नहीं है मुझको मैं भी बनूँ तुम्हारा ॥
है खेल इक नज़र का, घटना है क्या तुम्हारा ।कर दो करम वो हमदम भूलूँ जहान सारा ॥ऐसी पिला दे साक़ी बन जाये तू हमारा। ख्वाहिश नहीं है मुझको मैं भी बनूँ तुम्हारा ॥
बैठे हैं ता क़यामत, दर पे लगा के नारा । है यह कृपालु नारा, बस एक तू हमारा ॥ऐसी पिला दे साक़ी बन जाये तू हमारा। ख्वाहिश नहीं है मुझको मैं भी बनूँ तुम्हारा ॥