लाखों महफ़िल जहाँ में यूँ तो, तेरी महफ़िल सी महफ़िल नहीं है ।
स्वर्ग सम्राट हो या हो चाकर, तेरे दर ये है दर्ज़ा बराबर ।तेरी हस्ती को हो जिसने जाना, कोई आलम में आक़िल नहीं है ।लाखों महफ़िल जहाँ में यूँ तो, तेरी महफ़िल सी महफ़िल नहीं है ।
दर बदर खा के ठोकर जो थक कर, आ गया ग़र कोई तेरे दर पर । तूने नज़रों से जो रस पिलाया, वो बताने के क़ाबिल नहीं है।लाखों महफ़िल जहाँ में यूँ तो, तेरी महफ़िल सी महफ़िल नहीं है ।
तुम जो कहते हो तुम हो हमारे, जोड़ मुझ से ही तू नाते सारे। जान कर भी जो नाता न जोड़े, उसके मानिन्द जाहिल नहीं है।लाखों महफ़िल जहाँ में यूँ तो, तेरी महफ़िल सी महफ़िल नहीं है ।
जीते मरते जो तेरी लगन में, जलते रहते विरह की अगन में है भरोसा तेरा हे मुरारी, तू दयालु है क़बिल नहीं है।लाखों महफ़िल जहाँ में यूँ तो, तेरी महफ़िल सी महफ़िल नहीं है ।
तेरे रस का लगा चस्का जिस को
लगता बैकुण्ठ फीका सा उस को। डूब कर कोई बाहर न आया, इस में भँवरें हैं साहिल नहीं है । लाखों महफ़िल जहाँ में यूँ तो, तेरी महफ़िल सी महफ़िल नहीं है ।
प्रेम में है सदा देना देना, सोचना भी नहीं कुछ है लेना लेने वाला बड़ा भोला भाला, ब्रज के रसिकों में शामिल नहीं है । लाखों महफ़िल जहाँ में यूँ तो, तेरी महफ़िल सी महफ़िल नहीं है ।
मान ले उनको तू सिर्फ अपना सीख ले याद में बस तड़पना। वे लगा लेंगे सीने से तुझको, दिल में बैठे हैं गाफ़िल नहीं हैं ।लाखों महफ़िल जहाँ में यूँ तो, तेरी महफ़िल सी महफ़िल नहीं है ।
तू पिला दे जो इक बूँद रस की, क्या कमी है तेरे पास रस की। फिर जो छोड़े कोई तेरा पीछा, ऐसा जाहिल भी काहिल नहीं है । लाखों महफ़िल जहाँ में यूँ तो, तेरी महफ़िल सी महफ़िल नहीं है ।
कर्म है उन की निष्काम सेवा, धर्म है उनकी इच्छा में इच्छा। सौंप दो इनके हाथों में डोरी, ये ‘कृपालु’ हैं तँगदिल नहीं है।लाखों महफ़िल जहाँ में यूँ तो, तेरी महफ़िल सी महफ़िल नहीं है ।