ए जी सिया जैसी सुंदर नारी रमैया संग बन का गई।
ए जी उलट निहारे दीनानाथ की माया मोरी रोवात खड़ी।ए जी सिया जैसी सुंदर नारी रमैया संग बन का गई।
ए जी बाबुल से कहियो प्रणाम की माया मोरी धीरज धारी।ए जी सिया जैसी सुंदर नारी रमैया संग बन का गई।
ए जी वन मां बिताउहे बनवास लौटी औबही अवधपुरी।ए जी सिया जैसी सुंदर नारी रमैया संग बन का गई।
ए जी उलट निहारे दीनानाथ की माया मोरी रोवात खड़ी।ए जी सिया जैसी सुंदर नारी रमैया संग बन का गई।
ए जी सिया जैसी सुंदर नारी रमैया संग बन का गई।ए जी सिया जैसी सुंदर नारी रमैया संग बन का गई।