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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Thara rang Mahal me ajab shahar me aaja re Hansa bhayi,थारा रंग महल में अजब शहर मेंआजा रे हंसा भाई,

थारा रंग महल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई,

थारा रंग महल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई,
निरगुण राजा पे सिरगुण सैज बिछाई ॥



हाँ रे भाई इणा देवलिया में देव नहीं ,
झालर कूटे गरज कसी ॥
थारा रंग महल में , अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई,
निरगुण राजा पे सिरगुण सैज बिछाई ॥



हाँ रे भाई बेहद की तो गम नाहीं,
नुगरा से सैण कसी ॥
थारा रंग महल में , अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई,
निरगुण राजा पे सिरगुण सैज बिछाई ॥



हाँ रे भाई अमृत प्याला भर पावो,
भाईला से भ्राँत कसी ॥
थारा रंग महल में , अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई,
निरगुण राजा पे सिरगुण सैज बिछाई ॥



हाँ रे भाई कहै कबीर विचार ,
सैण माहि सैण मिली ।
थारा रंग महल में , अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई,
निरगुण राजा पे सिरगुण सैज बिछाई ॥

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