मुझे आपने बुलाया, ये करम नही तो क्या है
बड़ा मर्तबा बढ़ाया, ये करम नहीं तो क्या है।
मैं गमों की धूप मे जब तेरा नाम लेके निकला
मिला रहमतो का साया यह करम नही तो क्या है।मुझे आपने बुलाया, ये करम नही तो क्या है
बड़ा मर्तबा बढ़ाया, ये करम नहीं तो क्या है।
मुझे जब भी गम ने घेरा मेरा साथ सब ने छोड़ा
तू मेरी मदद को आया यह करम नही तो क्या है।मुझे आपने बुलाया, ये करम नही तो क्या है
बड़ा मर्तबा बढ़ाया, ये करम नहीं तो क्या है।
मैं भटक के रह गया था कही और बह गया था
मुझे रास्ता दिखाया यह करम नही तो क्या है।मुझे आपने बुलाया, ये करम नही तो क्या है
बड़ा मर्तबा बढ़ाया, ये करम नहीं तो क्या है।
यह शरफ बड़ा शरफ है तेरा रुख़ मेरी तरफ है
मुझे नत्खवा बनाया यह कर्म नही तो क्या है।मुझे आपने बुलाया, ये करम नही तो क्या है
बड़ा मर्तबा बढ़ाया, ये करम नहीं तो क्या है।
दर ए मुस्तफ़ा से अंजुम मे, खुद आ गया मेरा दिल
कभी लौट कर ना आया यह करम नही तो क्या है।मुझे आपने बुलाया, ये करम नही तो क्या है
बड़ा मर्तबा बढ़ाया, ये करम नहीं तो क्या है।