हर सांस में हर बोल में
हर सांस में हर बोल में हरि नाम की झंकार है .
हर नर मुझे भगवान है हर द्वार मंदिर द्वार है।
ये तन रतन जैसा नहीं मन पाप का भण्डार है .
पंछी बसेरे सा लगे मुझको सकल संसार है।हर सांस में हर बोल में हरि नाम की झंकार है .
हर नर मुझे भगवान है हर द्वार मंदिर द्वार है।
हर डाल में हर पात में जिस नाम की झंकार है .
उस नाथ के द्वारे तू जा होगा वहीं निस्तार है।हर सांस में हर बोल में हरि नाम की झंकार है .
हर नर मुझे भगवान है हर द्वार मंदिर द्वार है।
अपने पराये बन्धुओं का झूठ का व्यवहार है .
मनके यहां बिखरे हुये प्रभु ने पिरोया तार है।हर सांस में हर बोल में हरि नाम की झंकार है .
हर नर मुझे भगवान है हर द्वार मंदिर द्वार है।