धजबन्द लाज रखो म्हारी, ओ बापजी कलम रखो म्हारी, तीन लोक और चौदह भवन में, अखण्ड जोत थारी ।।
घर अजमल अवतार धारियों, भीरमदे भाई, माता मैणादे थोरी करे है आरती, हाथ लिवी झारी ।।धजबन्द लाज रखो म्हारी, ओ बापजी कलम रखो म्हारी।
पिछम धरा में भणियो देवरो, मौज बणी भारी, घृत मिठाई बाबा चढ़े ओ चूरमो, रुपियो री निज झारी ।।धजबन्द लाज रखो म्हारी, ओ बापजी कलम रखो म्हारी।
दड़िया रमते दैत मारियो, कीनो जुदद भारी, भैरव रागस ने मार हटायो, राखयो ला एक धारी ।।धजबन्द लाज रखो म्हारी, ओ बापजी कलम रखो म्हारी।
रामसरोवर आप ख़ुदायो रामा, पाल बणाई भारी, बाबा ओ थोरे घाट पर ओ, बणिया ओ गिरधारी।।धजबन्द लाज रखो म्हारी, ओ बापजी कलम रखो म्हारी।
दूर देश रा आवे जातरू, स जोड़े नरनारी, अलगी भौम रा आवे जातरी, निवण करे नर नारी ।।धजबन्द लाज रखो म्हारी, ओ बापजी कलम रखो म्हारी।
हरि शरणे भाटी हरजी बोले, भाने रो भीड़द बधाई, धजबन्द लाज रखों म्हारी, ओ बापजी कलम रखो म्हारी ।।