तर्ज – लेके पहला पहला प्यार।
यहाँ वहा मत डोल, प्राणी हरि हरि बोल,
कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे ।।
सुख वाली उजियाली, सुबह मिलेगी, दुःख वाली अंधियारी, रात टलेगी, गम के हट जाए बादल, खुशियां पाएगा हर पल, कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे ।।
यहाँ वहा मत डोल, प्राणी हरि हरि बोल,
कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे ।।
हर लेंगे हरि तेरा, हर एक संकट,
सुबह शाम दिन रात, हरि नाम तू रट, केवल दो अक्षर का नाम, तेरा कर देगा हर एक काम, कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे ।।
यहाँ वहा मत डोल, प्राणी हरि हरि बोल,
कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे ।।
करले भजन प्राणी, हो के मगन तू, अपने सुधार ले,
सारे जनम तू, सच्चा रख इनसे तू प्यार, तुझको कर देंगे भव पार, कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे ।।
यहाँ वहा मत डोल, प्राणी हरि हरि बोल,
कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे ।।
भजले नाम हरि का, सारी ही सृष्टि जपती, नाम हरि का, सारी सृष्टि के आधार, ये है जग के पालनहार, कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे।।
यहाँ वहा मत डोल, प्राणी हरि हरि बोल, कर हरि सुमिरन, हरि मिल जाएंगे।