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विविध भजन

Aandha Lula karni ra Hina mat kar jor jabrayi,आंधा लूला करणी रा हीना, मत कर जोर जबराई,

आंधा लूला करणी रा हीना, मत कर जोर जबराई,

आंधा लूला करणी रा हीना, मत कर जोर जबराई, छोड़ म्हारो हाथ देवरे जाणों, धूप भेळा टल जाई ।।



रविदास जात रा रेगर, रंगता चाम सदाई, एक मन होय धणिया ने सिंवरिया, कुंड में गंगा आई,



धना भगत करणी रा साँचा, कण बिना खेती भाई, बीज बाँट सन्तों ने दीना, निपजी साख सवाही ।।



इंदर राजा किणी नहीं सारे सारे, किणी रे कहे बरसे नाही, अलिया बरसे गलियां बरसे, बरसे मेला रे माही।

काशी में एक संत कबीरदास, भेजो बणता सदाई, एक मन हुई धणिया ने सिमरिया, बालद आण ढलाई ।।



सजन हाथ मे छुरी संभाई, हँसिया बकरा भाई, सिर का बदला लेणा ज्यूँ देणा, इधकी रीत क्यूँ चलाही ।।



धूप नहीं खेवूं देवरे नहीं आऊँ, सेवा थोरी आँधिये ने भोलाई, दोय कर जोड़ माली देवसी जी बोले, आंधे री आँखिया खोलाही ।।



आंधा लूला करणी रा हीना, मत कर जोर जबराई, छोड़ म्हारो हाथ देवरे जाणों, धूप भेळा टल जाई ।।

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