तर्ज,पिंजरे वाली मैना
माया के जाल में फंस गया रे ये लोभी तोता।लोभी तोता इंसानी तोता।माया के जाल में फंस गया रे ये लोभी तोता।
दिन दिन पिंजरा होत पुराना। गया समय फिर हाथ ना आना। नींद ना देखी सो गया रे यह लोभी तोता।माया के जाल में फंस गया रे ये लोभी तोता।
निर्गुण तोता अब क्यों सोता। दाग जिगर के क्यों ना धोता। निर्मल क्यों ना हो लिया रे इंसानी तोता। माया के जाल में फंस गया रे ये लोभी तोता।
1 दिन काल बलि जब आवे। गर्दन तोड़ तने ले जावे। जिस दिन उसने तोह लिया रे यह लोभी तोता।माया के जाल में फंस गया रे ये लोभी तोता।
मुंशीराम तु तोता बन जा। शब्द गुरु के चित्त में धर जा। समय कीमती खो दिया रे यह लोभी तोता।माया के जाल में फंस गया रे ये लोभी तोता।
माया के जाल में फंस गया रे ये लोभी तोता।लोभी तोता इंसानी तोता।माया के जाल में फंस गया रे ये लोभी तोता।