होई जावो संत,
सुधारो थांरी काया जी ।
अपने धणियों रा मारग,
झीणा है ओ रावळ माल ।
समझ्योड़ा वो तो,
झीणोड़े मारग हालो ।
रथ घोड़ांने धीमा हाको,
नी ओ रावळ माल ॥
उंडा उंडा नीर,
अथंग जल भरिया जी ।
तेरूड़ा रो थाग नहीं,
आयो है ओ रावळ माल ॥
होई जावो सं,
सुधारो थांरी काया जी ।
कड़वा रे नीम,
निबोल्यां ज्यांरी मीठी जी ।
कुण नर मिसरी मिलाई,
है ओ रावळ माल ॥
होई जावो संत,
सुधारो थांरी काया जी ।
बैठ हथायां माला,
झूठ मत बोलो जी ।
पथ पंचो रे माँहि,
जावे है ओ रावळ माल ॥
होई जावो संत,
सुधारो थांरी काया जी ।
घर री तो खोंड,
करकरी ओ लागे जी ।
गुड़ तो चोरी रो मीठो,
लागे है ओ रावळ माल ॥
होई जावो संत,
सुधारो थांरी काया जी ।
पराई नार,
आँगणिया में ऊभी जी ।
ज्यांने बेनड़ कह,
बतलावो ओ रावळ माल ॥
होई जावो संत,
सुधारो थांरी काया जी ।
उजड़ खेतों में,
माला बीज मत वावो जी ।
हासल हाथ नहीं,
आवे है ओ रावळ माल ॥
होई जावो संत,
सुधारो थांरी काया जी ।
दोय कर जोड़,
राणी रूपांदे जी बोले जी ।
अपने धणियों ने,
समझाया है ओ रावळ माल ॥
होई जावो संत,
सुधारो थांरी काया जी ।
होई जावो संत,
सुधारो थांरी काया जी ।
अपने धणियों रा मारग,
झीणा है ओ रावळ माल ।
समझ्योड़ा वो तो,
झीणोड़े मारग हालो ।
रथ घोड़ांने धीमा हाको,
नी ओ रावळ माल ॥