तर्ज – दीनानाथ मेरी बात।
सुन मेरी मात मेरी बात, छानी कोणी तेरे से, आँखड़ली चुराके मैया, जासी कठे मेरे से।
झुंझन वाली मैया तेरी, शरण में आ गयो, दादी थारो रूप म्हारे, नैणां में समां गयो, मत बिसरावे मैया, हार मानी तेरे से, आँखड़ली चुराके मैया, जासी कठे मेरे से।
सुन मेरी मात मेरी बात, छानी कोणी तेरे से, आँखड़ली चुराके मैया, जासी कठे मेरे से।
बालक हूँ मैं दादी थारो, मुझसे निभाय ले, दुखड़े को मारयो हूँ, मन्ने कालजे लगायले, पथ दिखलादे मैया, काढ़ ले अँधेरे से, आँखड़ली चुराके मैया, जासी कठे मेरे से ।।
सुन मेरी मात मेरी बात, छानी कोणी तेरे से, आँखड़ली चुराके मैया, जासी कठे मेरे से।
सिर पर सोहे चुनड़ी, कानो में कुण्डल भारी है, हाथां मेहंदी लाल थारी, सिंह की सवारी है, खाली हाथ बोल कईया, जाऊ तेरे डेरे से, आँखड़ली चुराके मैया, जासी कठे मेरे से ।।
सुन मेरी मात मेरी बात, छानी कोणी तेरे से, आँखड़ली चुराके मैया, जासी कठे मेरे से।