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विविध भजन

O mhare piyaji ra pran bachay hirni hari ne araj kare,ओ म्हारा पियाजी रा प्राण बचाए, हिरणी हरी ने अरज करे,

ओ म्हारा पियाजी रा प्राण बचाए, हिरणी हरी ने अरज करे

ओ म्हारा पियाजी रा प्राण बचाए, हिरणी हरी ने अरज करे। ओ म्हारी समदर में डूबी जहाज, हिरणी ऊबी अरज करे।

बाबरिया ने बाबर बांधी,चौंसठ बंद लगाय। हिरण्या कूद जंगल में ठाड़ी,मिरगी रो फंस गयो पांव।हिरणी हरी ने अरज करे।

ओ म्हारा पियाजी रा प्राण बचाए, हिरणी हरी ने अरज करे। ओ म्हारी समदर में डूबी जहाज, हिरणी ऊबी अरज करे।

कहे मिरगलो सुन ये मीरगली, तूं गाफल मत होय। तूं तो कूद जंगल में रल जा,हरी करे सोई होय।हिरणी हरी ने अरज करे।

ओ म्हारा पियाजी रा प्राण बचाए, हिरणी हरी ने अरज करे। ओ म्हारी समदर में डूबी जहाज, हिरणी ऊबी अरज करे।

तीन पांव पर खड़ी मीरगली,हरी सु हेत लगाय।हरी रो तो सिंहासन डोल्यों,बाबरिया ने विष खाय।हिरणी हरी ने अरज करे।

ओ म्हारा पियाजी रा प्राण बचाए, हिरणी हरी ने अरज करे। ओ म्हारी समदर में डूबी जहाज, हिरणी ऊबी अरज करे।

टूटी डोर बंद हुवा ढीला, मीरगा रो खुलीयो पांव।कहे कबीर सुनो भाई साधु,जोड़ी मिलाई भगवान।हिरणी हरी ने अरज करे।

ओ म्हारा पियाजी रा प्राण बचाए, हिरणी हरी ने अरज करे। ओ म्हारी समदर में डूबी जहाज, हिरणी ऊबी अरज करे।

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