या विध गोविन्द भोग लगायो
भगत बछल हरि नाम कहायो।
तुमरी विभो प्रभु तुमरे आगे,
हमसे दीनन को कंहा लागे।या विध गोविन्द भोग लगायो,
भगत बछल हरि नाम कहायो।
ज्यों कर्मा की खीचड़ खाई,
मोहलिए सुर नर मुनि राई।या विध गोविन्द भोग लगायो,
भगत बछल हरि नाम कहायो।
भगत सुदामा के तंदुल लीन्हें,
कंचन महल अमित सुख दीन्हें।या विध गोविन्द भोग लगायो,
भगत बछल हरि नाम कहायो।
प्रेम प्रीत कर भोजन किन्हें,
बचे शेष दासन को दीन्हें।या विध गोविन्द भोग लगायो,
भगत बछल हरि नाम कहायो।
रामानंद भर राखी झारी,
अच्वो श्री अवधेश बिहारी।या विध गोविन्द भोग लगायो,
भगत बछल हरि नाम कहायो।
या विध गोविन्द भोग लगायो
भगत बछल हरि नाम कहायो।
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या विध गोविन्द भोग लगायो
भगत बछल हरि नाम कहायो।