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shadi geet

Ek raat me do do chand khile ek sehre me ek ghunghat me,एक रात में दो दो चांद खिले एक सेहरे में एक घुंघट में,shadi geet

एक रात में दो दो चांद खिले एक सेहरे में एक घुंघट में।

तर्ज, महावीर तुम्हारे द्वारे पर

एक रात में दो दो चांद खिले एक सेहरे में एक घुंघट में।

जब प्यार के धागे बांधने लगे शहनाई बजे मेरे अंगना में। उस रात में हीरा चमक रहा कभी पायल में कभी बिछवे में।

एक रात में दो दो चांद खिले एक सेहरे में एक घुंघट में।

जब प्यार के धागे बांधने लगे शहनाई बजे मेरे अंगना में। उस रात में हीरा चमक रहा कभी साड़ी में कभी लहंगे में।

एक रात में दो दो चांद खिले एक सेहरे में एक घुंघट में।

जब प्यार के धागे बांधने लगे शहनाई बजे मेरे अंगना में। उस रात में हीरा चमक रहा कभी कभी चूड़ियों में कभी कंगने में।

एक रात में दो दो चांद खिले एक सेहरे में एक घुंघट में।

जब प्यार के धागे बांधने लगे शहनाई बजे मेरे अंगना में। उस रात में हीरा चमक रहा कभी बिंदिया में कभी टिके में।

एक रात में दो दो चांद खिले एक सेहरे में एक घुंघट में।

जब प्यार के धागे बांधने लगे शहनाई बजे मेरे अंगना में। उस रात में हीरा चमक रहा कभी झुमके में कभी नथली में।

एक रात में दो दो चांद खिले एक सेहरे में एक घुंघट में।

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