तुमने सब कुछ जहा में बनाया
चाँद तारे जमी आसमान भी
चाँद तारे जमी आसमान भी
चलते फिरते ये माटी के पुतले
तुमने कैसे बनाए हुए है।।
चलते फिरते ये माटी के पुतले
तुमने कैसे बनाए हुए है।।
कुछ पाने की खातिर तेरे दर
हम भी झोली फैलाए हुए है।।
यहा झोली सभी की भारती
इसलिए हम भी आए हुए है।।
कोई कह रहा महल बनवाऊंगा मैं
कोई कह रहा शहंशाह बन जाऊंगा में,
कोई ना जाने इस जीवन की क्या औकात है
अरे चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात है।।
कोई इंसान किसी इंसान को क्या देता है
देने वाला तो मेरा बाबा श्याम है।।
कुछ पाने की खातिर तेरे दर
हम भी झोली फैलाए हुए है।
यहा झोली सभी की भरती
इसलिए हम भी आए हुए है।
कुछ पाने की खातिर तेरे दर
हम भी झोली फैलाए हुए है।
यहा झोली सभी की भरती
इसलिए हम भी आए हुए है।
तुमने कुछ जहा में बनाया
चाँद तारे जमी आसमा भी
चाँद जखम देता है
चाँदनी से डरते है
घर जला है जिस दिन से
रोशनी से डरते है
क्योकि तेरे प्यार की
खातिर है ये सारे समझौते
वरना हम जमाने में
कब किसी से डरते है
चलते फिरते ये माटी के पुतले
तुमने कैसे बनाए हुए है।
कुछ पाने की खातिर तेरे दर
हम भी झोली हा झोली झोली
फैलाए हुए है।
हो गुनाहगार कितना भी कोई
हिसाब माँगा ना तुमने किसी से
तुमने औलाद अपनी समझ के
सब के अवगुण छुपाए हुए है।
जिसपे हो जाए रहमत तुम्हारी,मौत के मूह से उसको बचालो।तुमने लाखो हज़ारो बेड़े
डूबने से बचाए हुए है।
कुछ पाने की खातिर तेरे दर
हम भी झोली हा झोली झोली
फैलाए हुए हैं।
प्रेम तुमसे जो किया
तो बताओ क्या ग़लत क्या किया है
ताने सारे जहा के कन्हैया
हम तो हंस के हंस के सहने लगे है।
तुमसे ए खाटू वाले
दिल के अरमा मचलने लगे है।
कुछ पाने की खातिर तेरे दर
हम भी झोली फैलाए हुए है।