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विविध भजन

Piya tod do bandhan Aaj,ki ab ruh milna chahti hai,पिया तोड़ दो बंधन आज,की अब रूह मिलना चाहती है,

पिया तोड़ दो बंधन आज,
की अब रूह मिलना चाहती है,

तर्ज, आ लोट के आजा मेरे मीत

पिया तोड़ दो बंधन आज,
की अब रूह मिलना चाहती है,
पिया दिल की यही आवाज,
पिया दिल की यही आवाज,
की अब रूह चलना चाहती है,
पिया तोड़ दो बंधन आज,
की अब रूह मिलना चाहती है।।

आस उम्मीद सब तुमपे रखी,
मुझमे नहीं है कुछ भी मेरा,
कबसे रखा दिल चरणों में तेरे,
प्यार का जाम कहाँ है तेरा,
अब देर ना कर भरतार,
अब देर ना कर भरतार,
की अब रूह मिलना चाहती है,
पिया तोड़ दो बँधन आज,
की अब रूह मिलना चाहती है।।

आशिक पिया के वो ही है जलते,
जो होंठो पे रखते है ताले,
आई लहर जो मस्ती भरी फिर,
दिल सम्भले ना लाख सम्हाले,
मेरे वश में नहीं जज्बात,
मेरे वश में नहीं जज्बात,
की अब रूह मिलना चाहती है,
पिया तोड़ दो बँधन आज,
की अब रूह मिलना चाहती है।।

तड़पेंगे यहां कबतक बता दो,
दर्द दिया अब तुम्ही दवा दो,
अधर सुधा रस अब तो पीला दो,
यही दर्द बस यही दवा दो,
कर भी लो बाँह पसार,
कर भी लो बाँह पसार,
की अब रूह मिलना चाहती है,
पिया तोड़ दो बँधन आज,
की अब रूह मिलना चाहती है।।

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