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श्याम भजन लिरिक्स

Sabki juba pe ek hi naam,सबकी जुबा पे, एक ही नाम,तुमसे बड़ा ना, दानी श्याम,shyam bhajan

सबकी जुबा पे, एक ही नाम,
तुमसे बड़ा ना, दानी श्याम।

तर्ज,और इस दिल में क्या रखा है

सबकी जुबा पे, एक ही नाम,
तुमसे बड़ा ना, दानी श्याम।
सबकी अर्जी सुनते हो श्याम,
तुमसे बड़ा ना, दानी श्याम।
शीश दिया दान में, कान्हाँ के इम्तिहान में,
कान्हां ने दिखाया, एक पीपल का पेड़,
वीर कान्हां बोल पड़े, वीर को देख,
इस पीपल के पेड़ पे तू, कर दे छेद,
जय श्री श्याम, जय श्री श्याम,
मेरा अभिमान, मेरा खाटू वाला श्याम,
वीर ने कर दिए, पत्तों में छेद,
इस कला को देख कर हो गए मौन,
वीर से पूछा तू है कौन,
वीर ने कहाँ मैं हूँ हारे का सहारा,
कान्हां सोचे काम बिगाड़ेगा सारा,
जय श्री श्याम, जय श्री श्याम,
मेरा अभिमान, मेरा खाटू वाला श्याम।

रण में तुम आए थे, हार को जितवाने,
कृष्ण की माया थी, कौन ये पहचाने,
बर्बरीक ने कृष्ण को अपना,
शीश दे दिया दान,
ले लिया कृष्ण ने छल से काम,
तुमसे बड़ा ना, दानी श्याम।
सबकी अर्जी सुनते हो श्याम,
तुमसे बड़ा ना, दानी श्याम।

कृष्ण ने तब एक खेल रचाया,
कृष्ण ने बोला देना शीश का दान,
तब होगा इस जग का कल्याण,
इतना सुनते निकाली कटार,
और वीर ने दे दिया शीश का दान,
देख के ये अद्भुद खेला,
देवों ने आ पुष्प बिखेर,
जगतपिता भी हो नतमस्तक,
दे दिया वीर को यह वरदान,
जय श्री श्याम, जय श्री श्याम,
मेरा अभिमान, मेरा खाटू वाला श्याम,
परिणामों को कृष्ण ने जाँचा था,
शीश के दानी का नाम भी साँचा था,
कलियुग में तेरी पूजा होगी,
घर घर सुबह श्याम,
दे दिया कृष्ण ने, अपना नाम,
तुमसे बड़ा ना, दानी श्याम।
सबकी अर्जी सुनते हो श्याम,
तुमसे बड़ा ना, दानी श्याम।

कृष्ण ने वीर को बोली एक बात,
आज से कलियुग हुआ तेरे नाम,
दिया मैंने तुझको अपना श्याम नाम,
दिया था अपनी माँ को वचन,
तू सदा के लिए करेगा वो काम,
तू कहलायेगा, हारे का सहारा,
तू होगा कलियुग का देव निराला,
पूजेगा तुझको जग सारा,
एक दिन ऐसा आएगा,
पड़ेगा सबको कहना,
जय श्री श्याम, जय श्री श्याम,
मेरा अभिमान, मेरा खाटू वाला श्याम।

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