तर्ज,मंगल भवन अमंगल हारी
तुलसी मां तेरी महिमा न्यारी।तुम विष्णु जी,को अति प्यारी।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।
श्रद्धा भाव से तुम हरसाओ,सब भक्तन के काज बनाओ।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।
शालिग्राम करे किरपा भारी।तुलसी भक्तों की विपदा टारी।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।
तुमको जो भी भोग लगावे।लक्ष्य सिद्ध अपना वो पावे।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।
फलीभूत हो पूजा तेरी,सुख समृद्धि मिले घणेरी।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।
भाव से तुमको जल जो चढ़ावे। भौतिक सुख तुमसे वो पावे।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।
वर सौभाग्यवती का देती।सारे अमंगल तुम हर लेती।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।
जो तुलसी के गुण है गाए।संस्कारी संतान वो पाए।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।
भक्तों को तुम सदा सहाय।सद्गुण सदफल सदवर दाई।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।
दिन चालीस जो पूजा करते।उनके बिगड़े भाग्य सुधरते।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।
तुलसी मनोरथ पूरे करती।अन्न धन से भंडार है भरती।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।
पूजा तुम्हारी अति फलदाई।अति सर्व ये सुख प्रदायी।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।
तुलसी सद्गुण भरने वाली।तुलसी उद्धार है करनेवाली।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।
तुलसी आवागमन मिटाए।पितरों को ये मोक्ष दिलाए।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।
जिस घर में तुलसी जी होती। उस घर विपदा कबहूं ना होती।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।
तुलसी गंगा जैसी पावन।बंधन मिटाए आवन जावन।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।
पाप मुक्त तुलसी जी करती।साधक के सब रोग है हरती।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।
सदा हरि के ये मन को भाई।हरी प्रिय तुलसी मां कहलाई।जय जय तुलसी मां,जय जय तुलसी मां।