मंदिर में है श्याम अकेला, हम को खाटू जाने दो,
लेने दो अब हाल धणी का, और अपना बतलाने दो।
इतने दिनों से एक पिता ना, बच्चों से ना मिल पाया है,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
दूर ही बैठे, श्याम ने अपना, सारा फर्ज निभाया है,हम बच्चों को अपने पिता के हिवड़े से लग जाने दो,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
मंदिर में है श्याम अकेला, हम को खाटू जाने दो,
लेने दो अब हाल धणी का, और अपना बतलाने दो,
पहले तो हर ग्यारस पे हम, श्याम से मिल के आते थे,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
कुछ यादें मन में भरके, कुछ हल्का कर लाते थे,
रोती आँखें दरश की प्यासी, नैन से नैन मिलाने दो,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
मंदिर में है श्याम अकेला, हम को खाटू जाने दो,
लेने दो अब हाल धणी का, और अपना बतलाने दो,
जिसकी चौखट हर हारे को मिलता रहा सहारा है,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
जिसके मंदिर की सीढ़ी चढ़ होता रहा गुजारा है,
बंद पड़े हैं द्वार वो कब से, कहता खुल जाने दो,
मंदिर में है श्याम अकेला, हम को खाटू जाने दो,
लेने दो अब हाल धणी का, और अपना बतलाने दो,