तर्ज,मैने अंगना नही बुहारा
शबरी तुम्हारी बाट निहारे,वो तो रामा रामा पुकारे।कब आओगे मेरे राम,शबरी रो रो तुम्हे पुकारे।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺वो तो तुम्हारी बाट निहारे।जल्दी आ जाओ मेरे राम।दर्श दिखा जाओ मेरे राम।
मैने छोटी सी कुटिया को,पलकों से है बुहारा।सांझ सवेरे मेरे रामजी, तुम्हरा रस्ता निहारा।🌺राहों में तेरे फूल बिछाए,बैठी कब से आश लगाए।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺तुम कब आओगे मेरे राम,दर्श दिखा जाओ मेरे राम।
मैने सुना है तुम्हारे चरणों ने,पत्थर नारी बनाई।वही चरण मेरी कुटिया में,आन धरो रघुरायी।केवट और निषाद है तारे,भवसागर से पार उतारे।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺वैसे मुझको तारो राम,दर्श दिखा जाओ मेरे राम।
मेरे गुरु ने मुझे बताया,भाग मेरे जागेंगे। एकदीन राम मेरी कुटिया में,दर्श दिखा जाएंगे।🌺🌺🌺गुरुवर का ये वचन न टूटे,रामा मेरी आश ना छूटे। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺ढल जाए ना जीवन शाम,दर्श दिखा जाओ मेरे राम।
शबरी को भवसागर तारा,राम कुटी में आए।शबरी के जूठे बेरों का,रामजी भोग लगाएं।राम की चरण धुली को उठाया,चंदन समझ के तिलक लगाया।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺पूर्ण हुवा दिल का अरमान,शबरी पाई दरस अभिराम🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺दर्श दिखा जाओ मेरे राम।