उनके हांथो मे लग जाये ताला,अलीगढ़ वाला, सवा मन वाला,जो मइया जी की ताली ना बजाये।
उनके हांथो मे लग जाये ताला,अलीगढ़ वाला, सवा मन वाला,जो मइया जी की ताली ना बजाये।
माता के दरबार में देखो,भीड लागी है अपार।
जो माता की जय न बोले, उन्को है धिक्कार।
उन्की जिव्हा में लग जाये ताला,अलीगढ़ वाला, सवा मन वाला,जो मइया जी की ताली न बजाये।
माँ की मूरत ममता वाली,पवन दिव्य स्वरूप,
सामने आके जो ना देखे,मां का प्यारा रूप।उन्की अंखो में लग जाये ताला,अलीगढ़ वाला, सवा मन वाला,जो मैया जी के दर्शन को ना जाये।
उन्की जिव्हा में लग जाये ताला,अलीगढ़ वाला सवा मन वाला,जो मइया जी की ताली न बजाये।
माँके द्वारे आये लेकिन, भक्ति झूके ना शीश।
ऐस लोगो को अम्बे का,कहां मिले आशीष।
अनके मस्तक पे लग जाये ताला,अलीगढ़ वाला, सवा मन वाला,जो मां के आगे शीश ना झुकाये।
उन्की जिव्हा में लग जाये ताला,
अलीगढ़ वाला, सवा मन वाला,जो मइया जी की ताली बजाए।