पर्वत पे बैठी मां,भक्तों से झगड़ी। तूं क्यों नहीं लाया रे,मेरी लहंगा चुनरी।
एक अंधा आएगा।तुझे भजन सुनाएगा।उसे आंखे दे दो मां,खुश हो जायेगा।🌺🌺🌺🌺वही तो लाएगा,तेरी लहंगा चुनरी।पर्वत पे बैठी मां,भक्तों से झगड़ी। तूं क्यों नहीं लाया रे,मेरी लहंगा चुनरी।
एक लंगड़ा आएगा।तुझे भजन सुनाएगा।उसे टांगे दे दो मां,खुश हो जायेगा।🌺🌺🌺🌺वही तो लाएगा,तेरी लहंगा चुनरी।पर्वत पे बैठी मां,भक्तों से झगड़ी। तूं क्यों नहीं लाया रे,मेरी लहंगा चुनरी।
एक बांझन आयेगी।तुझे भजन सुनाएगी।उसे बेटा दे दो मां,खुश हो जाएगी।वही तो लाएगी,तेरी लहंगा चुनरी।🌺🌺🌺🌺🌺🌺पर्वत पे बैठी मां,भक्तों से झगड़ी। तूं क्यों नहीं लाया रे,मेरी लहंगा चुनरी।
एक निर्धन आएगा।तुझे भजन सुनाएगा।उसे दौलत दे दो मां,खुश हो जायेगा।🌺🌺🌺🌺वही तो लाएगा,तेरी लहंगा चुनरी।पर्वत पे बैठी मां,भक्तों से झगड़ी। तूं क्यों नहीं लाया रे,मेरी लहंगा चुनरी।
एक कोढ़ी आएगा।तुझे भजन सुनाएगा।उसे काया दे दो मां,खुश हो जायेगा।🌺🌺🌺🌺वही तो लाएगा,तेरी लहंगा चुनरी।पर्वत पे बैठी मां,भक्तों से झगड़ी। तूं क्यों नहीं लाया रे,मेरी लहंगा चुनरी।