तर्ज, कोन दिशा में लेके
सोनी सोनी प्यारी प्यारी, लाया हां चुनरिया।
ज़रा ओढ़ के दिखा,म्हारो मान बढा, बोले टाबरिया।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
भाव के बंदे थारा प्रेम का जरिया।
ज़रा ओढ़ के दिखा,म्हारो मान बढा, बोले टाबरिया।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
सोनी सोनी प्यारी प्यारी लाया हां चुनरिया।
जयपुर से माँ पोत मँगवायो, चिपकाया तारा भाव सूं।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
चार कुठ में चार मोरियाँ, खूब सजाया मैं चाव सूं।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
चम् चम् चमके चुनड़ी, धमके आया माँ थारे द्वार पे।पल्ला में ही बाजे छोटा छोटा रे घूघरिया।
ज़रा ओढ़ के दिखा,म्हारो मान बढा, बोले टाबरिया।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
सोनी सोनी प्यारी प्यारी लाया हां चुनरिया।
लहराती थी लाल चुनर में, मैया प्यार वासो महारो।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
यह चुनरी ने ओढ़ के लागे, रूप सजिलो माता थारो।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
मैया प्यारी लागे, न्यारी इ सारे संसार में।
डर लागे म्हाने कहीं लागे न नजरिया।
ज़रा ओढ़ के दिखा,म्हारो मान बढा, बोले टाबरिया।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
सोनी सोनी प्यारी प्यारी लाया हां चुनरिया।
चुनर ओढन खातिर मैया, पल में दोढ़ी आई है।
भक्त कहवे या चुनरी प्यारी,मैया के मन भाई है।
ओढ़के बैठी रतन सिंहासन, मुल्के मैया प्यार से।
चरना में बीते मैया म्हारी रे उमरिया।
ज़रा ओढ़ के दिखा,म्हारो मान बढा, बोले टाबरिया।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
सोनी सोनी प्यारी प्यारी लाया हां चुनरिया।