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श्याम भजन लिरिक्स

Mhare shyam ki kirpa apar, म्हारे श्याम की किरपा अपार,shyam bhajan

म्हारे श्याम की किरपा अपार,देखो बरस रही जी बरस रही

तर्ज,घुड़लो घूमे छ जी घूमे छ

म्हारे श्याम की किरपा अपार,देखो बरस रही जी बरस रही। काँई समझे मुरख गंवार,देखो बरस रही जी बरस रही।

पहली किरपा मिनख बनाया,संता निकट लाय बैठाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹हरी को मारग सुगत विचार,देखो बरस रही जी बरस रही।

म्हारे श्याम की किरपा अपार,देखो बरस रही जी बरस रही। काँई समझे मुरख गंवार,देखो बरस रही जी बरस रही।

पापी अरु मूर्ख नरनारी।ज्ञान भक्ति का बनिया अधिकारी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 आंमें कोई नहीं हल्का भार,देखो बरस रही जी बरस रही।

म्हारे श्याम की किरपा अपार,देखो बरस रही जी बरस रही।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 काँई समझे मुरख गंवार,देखो बरस रही जी बरस रही।

सुख दुःख घाटों, नफो बीमारी।सारा साधन सामग्री सारी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹प्रभु मिलन को जोग ना टाल,देखो बरस रही जी बरस रही।

म्हारे श्याम की किरपा अपार,देखो बरस रही जी बरस रही। काँई समझे मुरख गंवार,देखो बरस रही जी बरस रही।

प्राणी अपनो कर्म करे जा।हरी को सुमिरन रोज करे जा।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹राख अपनों धनी पर भार,देखो बरस रही जी बरस रही।

म्हारे श्याम की किरपा अपार,देखो बरस रही जी बरस रही। काँई समझे मुरख गंवार,देखो बरस रही जी बरस रही।

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