रंग डारो ना बीच बज़ार,श्याम मैं तो मर जाऊंगी।
आज ही पहनी मैने, नयी चुनरिया।
वा में लग रहे गोटा किनरिया।
आई करके मैं सोलह शृंगार,कैसे मैं बच पाओँगी।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺रंग डारो ना बीच बज़ार,श्याम मैं तो मर जाऊंगी।
मुख पे मेरे गुलाल मलो ना।
बेदर्दी मेरे संग सालो ना।
हाय खोलो ना घूँघटा हमार,कुछ ना मैं कर पाऊंगी।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺रंग डारो ना बीच बज़ार,श्याम मैं तो मर जाऊंगी।
देखो श्याम मेरा घूँघटा खोलो ना।
चुप ठाडो तुम कुछ बोलो ना।
जो मिले नैनों से नैना हमार,जीते जी मैं मर जाऊंगी।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺रंग डारो ना बीच बज़ार,श्याम मैं तो मर जाऊंगी।
अकेली रह गयी गहबर वन में।
सखी सहेली मेरी कोई ना सांग में।
हाय डरता है जियरा हमार,में कैसे घर जाऊंगी।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺रंग डारो ना बीच बज़ार,श्याम मैं तो मर जाऊंगी।
अब के छोड़ दे,ओ रे कान्हा।
सास ननंद का कहा ना माना।
मान जाओ ना सांवरे सरकार,सखिन संग फिर आऊंगी।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺रंग डारो ना बीच बज़ार,श्याम मैं तो मर जाऊंगी।