तर्ज,श्याम तुमसे मिलने का सत्संग ही बहाना है
गुरूदेव की कुटिया को, मैंने फूलो से सजाया है।
मेरे घर आओ गुरूदेव, मैंने आप को बुलाया है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
गुरु मेरे ब्रम्हा है, गुरु मेरे विष्णु हैं।
गुरु मेरे शिव भोले, जिसने जगत रचाया है।
गुरूदेव की कुटिया को, मैंने फूलों से सजाया है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
गुरु मेरी गंगा है, गुरु मेरी जमुना है।
गुरु मेरी त्रिवेणी, जिसने जगत नवाया है।
गुरूदेव की कुटिया को, मैंने फूलो से सजाया है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
गुरु मेरे चंदा है, गुरु मेंरे तारा है।
गुरु मेरे सूरज किरन, जिससे जगत उजियारा है।
गुरूदेव की कुटिया को, मैंने फूलो से सजाया है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
गुरु मेरे माता पिता, गुरु मेरे बंधु सखा।
गुरु मेरे सतगुरु है, जिसने ज्ञान बताया है।
गुरूदेव की कुटिया को, मैंने फूलो से सजाया है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
मेरे घर आओ गुरूदेव, मैंने आप को बुलाया है।
गुरूदेव की कुटिया को, मैंने फूलो से सजाया है।
मेरे घर आओ गुरूदेव, मैंने आप को बुलाया है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺