तर्ज,जब जब भी इसे पुकारा
जब जब मेरा मन घबराता,मुझे कुछ भी समझ नही आता। अपनों को ना में सुहाता, मैं उन पर बोझ बन जाता।🌺🌺🌺🌺🌺 यह आता है, श्याम मेरा आता है। आके मुझे गले से लगाता है।
जीवन की यह बगिया, मेरे श्याम ने हीं खिलाई। हर सुख दुख में मुझको,पड़ता यही दिखाई।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 सुख बढ़-चढ़ साथ निभाता, दुःख द्वार खड़ा रह जाता।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 मेरा श्याम खड़ा मुस्काता, मैं झूम झूम कर गाता।यह आता है, श्याम मेरा आता है। आके मुझे गले से लगाता है।
जिसको ना हो भरोसा, वह करके भरोसा देखें। उसकी नाव न डूबे, उसे श्याम ही आकर खेते।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 झट नाव किनारे लगती, हर उल्झी गांठ सुलझती।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 फिर बात कभी न बिगड़ती, बिगड़ी किस्मत भी संवरती।यह आता है, श्याम मेरा आता है। आके मुझे गले से लगाता है।
कलियुग इनका प्यारे, तू भी इनका होजा। सौंप के इनको नैया,इनकी शरण में होजा।आनंद ऐसा आएगा, तू कभी नहीं भरमाएगा।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺पाकर के श्याम की मस्ती, तूं झूम झूम गाएगा।यह आता है, श्याम मेरा आता है। आके मुझे गले से लगाता है।
जब जब मेरा मन घबराता,मुझे कुछ भी समझ नही आता। अपनों को ना में सुहाता, मैं उन पर बोझ बन जाता।🌺🌺🌺🌺🌺 यह आता है, श्याम मेरा आता है। आके मुझे गले से लगाता है।