अरे री मुझे ना भावे कुछ और,सांवरा बस गया नैनन में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺सांवरा बस गया नैनन में,कन्हैया बस गया नैनन में।अरे री मुझे ना भावे कुछ और,सांवरा बस गया नैनन में।
ऐसी रची श्याम ने माया,पांडव का एक गृहस्थ बनाया।नगरी चमके चारों और,द्रोपदी बैठी है आंगन में।🌺🌺🌺🌺अरे री मुझे ना भावे कुछ और,सांवरा बस गया नैनन में।
गांडीव धनुष दिया अर्जुन को,सौंपी गदा बलवान भीम को।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺देवरथ को लिया पहचान,कही अर्जुन के कानन में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺अरे री मुझे ना भावे कुछ और,सांवरा बस गया नैनन में।
मित्र सुदामा मिलने आए।बांध पोटली चावल लाए।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺चावल खाए समझ के खीर,बैठा दिए अपने आसन पे।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺अरे री मुझे ना भावे कुछ और,सांवरा बस गया नैनन में।
छप्पन भोग बनाए रुक्मन ने,पंखा ढोल जिमाए मोहन ने।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺श्याम की ऐसी देखी यारी,के आंसू आ गए आंखन में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺अरे री मुझे ना भावे कुछ और,सांवरा बस गया नैनन में।
अरे री मुझे ना भावे कुछ और,सांवरा बस गया नैनन में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺सांवरा बस गया नैनन में,कन्हैया बस गया नैनन में।अरे री मुझे ना भावे कुछ और,सांवरा बस गया नैनन में।