तर्ज,यशोमती मैया से
सीयाजी से पूछ रहे,अंजनी के लाला।मांग में सिंदूर मैया,किसलिए डाला।
हनुमत की वाणी सुन, सिया मुस्कुराई।पीछा छुड़ाने की,युक्ति बनाई।🌺🌺🌺🌺खुश होंगे मेरे स्वामी,इसीलिए डाला।मांग में सिंदूर मैया,किसलिए डाला।
सीयाजी से पूछ रहे,अंजनी के लाला।मांग में सिंदूर मैया,किसलिए डाला।
हनुमत ने सोचा में भी,राम को रिझाऊंगा।मैया ने लगाया थोड़ा,ज्यादा में लगाऊंगा।और हनुमान ने पूरा,तन ही रंग डाला।🌺🌺मांग में सिंदूर मैया,किसलिए डाला।
सीयाजी से पूछ रहे,अंजनी के लाला।मांग में सिंदूर मैया,किसलिए डाला।
मैया ने बताया वही,रस्ता अपनाऊंगा।राम जी के चरणों का,दास बन जाऊंगा।🌺🌺रामजी के नाम की,जपूंगा में माला।मांग में सिंदूर मैया,किसलिए डाला।
सीयाजी से पूछ रहे,अंजनी के लाला।मांग में सिंदूर मैया,किसलिए डाला।
जब दरबार में,बैठे श्री राम जी।चरणों में शीश, झुकाए हनुमान जी।🌺🌺🌺🌺🌺अजर अमर तुम,अंजनी के लाला।🌺🌺ऐसा वरदान सीता, माता ने दे डाला।मांग में सिंदूर मैया,किसलिए डाला।
सीयाजी से पूछ रहे,अंजनी के लाला।मांग में सिंदूर मैया,किसलिए डाला।