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नरसी मेहता भजन

Narsi ji ri dikri nani bai naam, नरसी जी री डीकरी नानी बाई नाम,nani bai bhajan

नरसी जी री डीकरी नानी बाई नाम

नरसी जी री डीकरी नानी बाई नाम।ब्याही श्री रंग के घरां नगर अंजार सुग्राम।

जाय सुता के लग्न रो,श्री रंग कियो उछाव।न्योत्यो सकल बिरादरी,नागर कुल को भाव।

माघ कृष्ण भृगु सप्तमी, कुंकुम पत्र लिखाय।भाई बंध भेला हुया,जाजम दई बिछाय।

प्रथम लिखूं गण ईशकुं, पूनी जूनागढ़ जाण। ता पीछे सब जाट में,अरु जब जांण पिछाण।

पंच लिखी बहु पत्रिका, गवने निजनिज धाम। देण लगे काशीद कुं,ले ले सबको नाम।

नरसी जी री पत्रिका,विप्र कोकल्या हाथ।जूनागढ़ अति वेग ते,लेकर आज्यों साथ।

सासु नणद अरु दौराणी जिठाणी,सब मिल बैठी आय के। द्वात कलम कागद मंगवाए,लेखक लियो बुलाय के।

सवा पच्चीस मण लिखो सुपारी,सवा पच्चीस मण रोरी।सवा पच्चीस मण लिखो कलेवो,और मेवा की बोरी।

हजार थान मेंमुदि लिख दो,शाल दुशाला कापड़ा।ठठ्ठा करे नरसी रा ब्याई,बख्ताबर छै बापड़ा।

अस्सी हजार तो मोहरां लिखद्यों,करोड़ रुपिया रोकड़ी।कागद में दोय भाटा लिखद्यो,यूं उठ बोली डोकरी।

घर को बामण कोकल्यो,श्री रंग लियो बुलाय। पहिली दिनहिंं पत्रिका, यो कागद ले जाय।

पंथ द्वारिका पिंपली,धरी पत्रिका जाय।नरसी जी पाछा फिरया,जदूपति लिन्हि उठाय।

नरसी जी री डीकरी नानी बाई नाम।ब्याही श्री रंग के घरां नगर अंजार सुग्राम।

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