तर्ज,व्रज में हो रही जय जयकार,नंद घर
अपनो गांव रखो नंदरानी, हम कहीं और बसेंगी जाय।हम कहीं और बसेंगी जाय,हम कहीं और बसेंगी जाय।🌺🌺🌺🌺🌺🌺अपनो गांव रखो नंदरानी हम कहीं और बसेंगी जाय।
तेरे लाल की सुन सुन बतियां,तोहे कहूं समझाए।देखन में छोटो सो लागे, हाय बड़ो होय जाय।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺अपनो गांव रखो नंदरानी, हम कहीं और बसेंगी जाय।
घर से निकलकर,ढोल के गागर,ये भीतर घुस जाय।छींका में से माखन खावे,दूध दही धुलकाय।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺अपनो गांव रखो नंदरानी, हम कहीं और बसेंगी जाय।
जब में जमुना नहाने जाऊं,लेवे यो चीर चुराय।लेकर चीर कदंब पे बैठयो, ठोनो रहयो दिखाय।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺अपनो गांव रखो नंदरानी, हम कहीं और बसेंगी जाय।
जब में तेरे मोहन को पकडूं,दुबक छिपत रह जाय।अपनों हाथ छुड़ाए गयो,देवरको दियो पकड़ाए।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺अपनो गांव रखो नंदरानी, हम कहीं और बसेंगे जाय।
चंद्रसखी भज बाल कृष्ण छबि,लाल को लेवो समझाए।वृंदावन की कुंज गलिन में,लूट लूट कर खाय।🌺🌺🌺🌺🌺🌺अपनो गांव रखो नंदरानी, हम कहीं और बसेंगी जाय।
अपनो गांव रखो नंदरानी, हम कहीं और बसेंगी जाय।हम कहीं और बसेंगी जाय,हम कहीं और बसेंगी जाय।🌺🌺🌺🌺🌺🌺अपनो गांव रखो नंदरानी हम कहीं और बसेंगी जाय।