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शिव भजन लिरिक्सshiv bhajan lyrics

Shiv bhajan,sir ganga ki dhar, सिर गंगा की धार,गले सर्पों के हार

सिर गंगा की धार,गले सर्पों के हार महादेवा

सिर गंगा की धार,गले सर्पों के हार महादेवा।नाथ कैसे करूं तेरी सेवा।

तेरी सेवा में जल भर लाई,भोले बाबा ने खामी बताई।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹ये है मछली का जूठार,में नहीं पीऊं मेरी नार,जल तेरा।नाथ कैसे करूं तेरी सेवा।

सिर गंगा की धार,गले सर्पों के हार महादेवा।नाथ कैसे करूं तेरी सेवा।

तेरी सेवा में फूल तोड़ लाई,भोले बाबा ने खामी बताई।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹ये है भंवरा जुठार,में नहीं लेऊं मेरी नार,फूल तेरा।नाथ कैसे करूं तेरी सेवा।

सिर गंगा की धार,गले सर्पों के हार महादेवा।नाथ कैसे करूं तेरी सेवा।

तेरी सेवा में दूध में लाई,भोले बाबा ने खामी बताई।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹दूध बछड़ा जूठार,में नहीं पीऊं मेरी नार,मुंह फेरा।नाथ कैसे करूं तेरी सेवा।

सिर गंगा की धार,गले सर्पों के हार महादेवा।नाथ कैसे करूं तेरी सेवा।

तेरी सेवा में भांग है लाई,भोले बाबा ने करी बड़ाई।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹गोरा भंग से मुझको प्यार,इसके आगे जाऊं हार,प्राण मेरा।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹नाथ कैसे करूं तेरी सेवा।

सिर गंगा की धार,गले सर्पों के हार महादेवा।नाथ कैसे करूं तेरी सेवा।

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