तर्ज,कोई जब राह ना पाए
कोई जब प्रेम से बुलावे,यो रुक नहीं पावे।दौड़यो दौड़यो, भाग्यो भाग्यो आवे।🌹🌹भाव को भूखों है बाबो श्याम२।
विदुर के घर यो आयो,विदुरानी मन हरसायो।२। भाव से केले का,छिलका भी खायों।२🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹दुर्योधन का मेवा त्याग्या,छिलका खावण आगया।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹विदुरानी का भाग है जाग्या।भाव को भूखों है बाबो श्याम२।
कोई जब प्रेम से बुलावे,यो रुक नहीं पावे।दौड़यो दौड़यो, भाग्यो भाग्यो आवे।🌹🌹भाव को भूखों है बाबो श्याम२।
रुक्मण भोजन परोस रही, करमा बाई बाट जोह रही।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹नंगा पांव सांवरियों दौड़ रहयो।🌹🌹🌹खिचड़लो करमा घर खायो, घणों हरसायो। ऐसो प्रेम सांवरे ने भायो।🌹🌹🌹🌹🌹भाव को भूखों है बाबो श्याम२।
कोई जब प्रेम से बुलावे,यो रुक नहीं पावे।दौड़यो दौड़यो, भाग्यो भाग्यो आवे।🌹🌹भाव को भूखों है बाबो श्याम२।
संत सुदामो घर आयो,चावल की पोटने छिपायो।२।छीनकर चावल ने खाय रहयो।बंदा तूं तो श्याम गुण गाले,इने भाव से रिझाले।तुरत ही रीझे घनश्याम।🌹🌹🌹भाव को भूखों है बाबो श्याम२।
कोई जब प्रेम से बुलावे,यो रुक नहीं पावे।दौड़यो दौड़यो, भाग्यो भाग्यो आवे।🌹🌹भाव को भूखों है बाबो श्याम२।