तर्ज,पूछते हो कन्हैया कहां है
भोला शंकर जी बनकर के जोगी, मां यशोदा के द्वारे खड़े हैं।२।🌹🌹🌹🌹🌹कह पुकारे वो अलख निरंजन,बंद दरवाजे घर के पड़े हैं। २।
है लगी भीड़ मैया के अंगना,झूल रहें है, कन्हैया जी पलना। २। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹अखियां दरस को तरस रही है,भूखे प्यासे शिव शंभू पड़े हैं। २।🌹🌹🌹🌹🌹🌹कह पुकारे वो अलख निरंजन,बंद दरवाजे घर के पड़े हैं। २।
भोला शंकर जी बनकर के जोगी, मां यशोदा के द्वारे खड़े हैं।२।🌹🌹🌹🌹🌹कह पुकारे वो अलख निरंजन,बंद दरवाजे घर के पड़े हैं। २।
मां यशोदा को डर यह सताए, कहीं लल्ला मेरा डर ना जाए। २।🌹🌹🌹🌹🌹🌹 यह जटा और यह लंबी सी दाढ़ी, नाग उनके गले में पड़े हैं। २।🌹🌹🌹🌹🌹कह पुकारे वो अलख निरंजन,बंद दरवाजे घर के पड़े हैं। २।
भोला शंकर जी बनकर के जोगी, मां यशोदा के द्वारे खड़े हैं।२।🌹🌹🌹🌹🌹कह पुकारे वो अलख निरंजन,बंद दरवाजे घर के पड़े हैं। २।
पलने में रो रहे हैं कन्हैया, चांद तोला उतारे है मैया। २। जा चला जा यहां से तूं जोगी।२। नैन तेरे काले और बड़े हैं। २।🌹🌹🌹🌹कह पुकारे वो अलख निरंजन,बंद दरवाजे घर के पड़े हैं। २।
भोला शंकर जी बनकर के जोगी, मां यशोदा के द्वारे खड़े हैं।२।🌹🌹🌹🌹🌹कह पुकारे वो अलख निरंजन,बंद दरवाजे घर के पड़े हैं। २।