तर्ज,तेरे दर को में छोड़ कहां जाऊं
बड़े दिन हुवे बिछड़े सखा से,ऐ द्वारपालो मिलने दो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 नहीं देखा है बरसों से उसको, तनिक मोहे तक लेने दो।
यह जो द्वारकाधीश तुम्हारे हैं। बचपन के मित्र हमारे हैं। संग पढ़ें खेलें गुरुकुल में, गले से जाकर लग लेने दो। 🌹🌹🌹🌹नहीं देखा है बरसों से उसको, तनिक मोहे तक लेने दो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बड़े दिन हुवे बिछड़े सखा से,ऐ द्वारपालो मिलने दो।
द्वार पर एक निर्धन आया है।पांव नंगे है उघड़ी काया है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹शीश पगड़ी ना बागा उसके तन पर, कहता है तुमसे मिलने को। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹नहीं देखा है बरसों से उसको, तनिक मोहे तक लेने दो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बड़े दिन हुवे बिछड़े सखा से,ऐ द्वारपालो मिलने दो।
नाम अपना सुदामा बताता है। निर आंखों मे, भर भर लाता है। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹 कहता है मैं सखा हूं श्याम का, महलों में मुझे जाने दो। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹नहीं देखा है बरसों से उसको, तनिक मोहे तक लेने दो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बड़े दिन हुवे बिछड़े सखा से,ऐ द्वारपालो मिलने दो।
श्याम सुध बुध सारी विसराये हैं। दौड़ते दौड़ते द्वार पर आए हैं। 🌹🌹🌹🌹🌹 नंगे पैरों ही पहुंचे दरवाजे, सखा का स्वागत करने दो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹नहीं देखा है बरसों से उसको, तनिक मोहे तक लेने दो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बड़े दिन हुवे बिछड़े सखा से,ऐ द्वारपालो मिलने दो।
सिंहासन पर सुदामा बैठाए हैं। बैठ चरणों में मान बढ़ाएं हैं। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 नैन भर आए देख गरीबी, आंसुओं से चरण धोने दो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹नहीं देखा है बरसों से उसको, तनिक मोहे तक लेने दो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बड़े दिन हुवे बिछड़े सखा से,ऐ द्वारपालो मिलने दो।
पानी धोने को चरण मंगवाया है। हाथ मोहन ने मगर ना लगाया है। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹 पांव आंसुओं से ही धो डालें। क्या कहने बंसी वाले को। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बड़े दिन हुवे बिछड़े सखा से,ऐ द्वारपालो मिलने दो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बड़े दिन हुवे बिछड़े सखा से,ऐ द्वारपालो मिलने दो।
भोग छप्पन फिर श्याम ने मंगवाए हैं। अपने हाथों से यार को खिलाए हैं। 🌹🌹🌹🌹 खाए खुद चावल अपने सखा के, बदले में राजा किन्हा हो। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹नहीं देखा है बरसों से उसको, तनिक मोहे तक लेने दो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बड़े दिन हुवे बिछड़े सखा से,ऐ द्वारपालो मिलने दो।
बड़े दिन हुवे बिछड़े सखा से,ऐ द्वारपालो मिलने दो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 नहीं देखा है बरसों से उसको, तनिक मोहे तक लेने दो।