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Kanha kaiso rup banayoकान्हा कैसो रूप बनायो रे,जन्माष्टमी भजन

कान्हा कैसो रूप बनायो रे

कान्हा कैसो रूप बनायो रे । बन मनिहारी राधा जी से मिलने आयो रे।

घेर घुमेरो घाघर ऊपर चुनरी ओढ़ी लाल।🌹नैना माही काजल घालयो होठों लाली लाल। चुड़लो सिर पर धरकर ल्यायो रे।बन मनिहारी राधा जी से मिलने आयो रे।

कान्हा कैसो रूप बनायो रे । बन मनिहारी राधा जी से मिलने आयो रे।

गली गली में हेलो मारे, मथुरा को सरदार।🌹 प्रेम दीवानो बनकर बेचे, चुड़लों लखदातार। कान्हा कैसे गजब यो ढायो रे।बन मनिहारी राधा जी से मिलने आयो रे।

कान्हा कैसो रूप बनायो रे । बन मनिहारी राधा जी से मिलने आयो रे।

सोनो सो एक छांटके चुड़लो,बोली राधे प्यारी।घने जतन स्यूँ हाथा माही,पहना दे मनिहारी। कान्हो मन ही मन मुस्कायो रे।🌹🌹🌹बन मनिहारी राधा जी से मिलने आयो रे।

कान्हा कैसो रूप बनायो रे । बन मनिहारी राधा जी से मिलने आयो रे।

पुछन लागी दाम बता जद, मुल्क्यों कृष्ण कन्हाई।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹राधा तेरे से दाम के लेस्यूं,झांक ले आंख्या माही।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 जुल्मी कैसो भेष बनायो रे।त्रिलोकी को नाथ आज के,स्वांग रचायो रे।बन मनिहारी राधा जी से मिलने आयो रे।

कान्हा कैसो रूप बनायो रे । बन मनिहारी राधा जी से मिलने आयो रे।

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