तर्ज,ये तो प्रेम की बात है उधो
राधा रानी मुरलिया से पूछे,काम तूने क्या ऐसा किया है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹रहती अधरों पे मोहन के हरदम,मेरे मोहन को वश में किया है।
मुरली बोली सुनो राधारानी,मेरी दुःख से भरी है कहानी।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मैंने बड़े बड़े दुःख हैं उठाए,२,जब से मोहन ने मुझको लिया है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹रहती अधरों पे मोहन के हरदम,मेरे मोहन को वश में किया है।
राधा रानी मुरलिया से पूछे,काम तूने क्या ऐसा किया है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹रहती अधरों पे मोहन के हरदम,मेरे मोहन को वश में किया है।
वृक्ष से पहले मुझको कटाया,मेरा परिवार मुझसे छुड़ाया।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मैने अपनों को त्याग दिया है,२,जब से मोहन ने मुझको लिया है।🌹🌹🌹🌹🌹रहती अधरों पे मोहन के हरदम,मेरे मोहन को वश में किया है।
राधा रानी मुरलिया से पूछे,काम तूने क्या ऐसा किया है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹रहती अधरों पे मोहन के हरदम,मेरे मोहन को वश में किया है।
क्या उमंगे थी मेरे भी मन में,क्या बहारें थी मेरे उपवन में।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹अब तो रूठे हैं मेरे अपने भी,२,जब से मोहन ने मुझको लिया है।🌹🌹🌹🌹🌹रहती अधरों पे मोहन के हरदम,मेरे मोहन को वश में किया है।
राधा रानी मुरलिया से पूछे,काम तूने क्या ऐसा किया है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹रहती अधरों पे मोहन के हरदम,मेरे मोहन को वश में किया है।